आउटसोर्स संविदा कर्मियों को किया जाए नियमित, हाइकोर्ट ने सुनाया बड़ा आदेश

Outsourcing Employees Regularization News : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस आदेश से करीब 900 कर्मचारियों की किस्मत चमक गई है। कोर्ट ने साफ कहा है कि इन कर्मचारियों को, जो अब तक संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर काम कर रहे थे, उन्हें नियमितीकरण नीति (Regularization Policy) के तहत रेगुलर किया जाए।

हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

कई सौ याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह महत्वपूर्ण आदेश सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पहले दिए गए कई निर्णयों का हवाला दिया और कहा कि राज्य सरकार एक कल्याणकारी संस्था है। ऐसे में उसका संवैधानिक कर्तव्य है कि वह नागरिकों और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करे।

ये कर्मचारी अलग-अलग पदों पर संविदा के आधार पर रखे गए थे। इनमें सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, ड्राफ्ट्समैन, सुपरवाइजर, तकनीकी फैसिलिटी मैनेजर, प्रोग्रामर, भंडार प्रबंधक, सहायक फार्म प्रबंधक और कार्यालय सहायक जैसे पद शामिल हैं। इन सभी को हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास समिति और बागवानी निदेशालय ने आउटसोर्सिंग के ज़रिए काम पर लगाया था। इसी वजह से इन्हें अब तक नियमितीकरण का लाभ नहीं मिल पा रहा था।

सरकार की दलील

राज्य सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि याचिकाकर्ता बागवानी विभाग के सीधे कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से रखे गए लोग हैं। ऐसे में उन्हें नियमितीकरण की नीति का फायदा नहीं दिया जा सकता। सरकार ने यह भी कहा कि नियमितीकरण केवल उन्हीं कर्मचारियों के लिए है जिन्हें लोक सेवा आयोग या कर्मचारी चयन बोर्ड के जरिए भर्ती किया गया हो।

सरकार की दलील यह भी थी कि ये कर्मचारी खास परियोजनाओं पर अस्थाई तौर पर रखे गए थे, और जब परियोजना खत्म हो जाती है तो उनकी सेवाएं भी समाप्त हो जानी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने सरकार की इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि जब कर्मचारी दो साल तक संविदा पर सेवा पूरी कर चुके हैं, तो उन्हें रेगुलर करना सरकार का कर्तव्य है।

आउटसोर्स कर्मचारियों का पक्ष

आउटसोर्स कर्मचारियों की ओर से यह दलील रखी गई थी कि प्रदेश की अन्य सरकारी समितियों और संस्थाओं में भी अस्थाई और अनुबंध कर्मचारियों को पहले स्थायी किया गया है। उदाहरण के तौर पर सर्व शिक्षा अभियान, ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट, इन ऊर्जा, रेड क्रॉस सोसाइटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभागों के कर्मचारी शामिल रहे हैं। कई कर्मचारियों को तो खाली पड़े स्थायी पदों पर भी समायोजित कर दिया गया था। इन्हीं उदाहरणों और संविधान में दिए गए कल्याणकारी दायित्वों को देखते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि बागवानी विभाग के आउटसोर्स कर्मचारियों को भी नियमित किया जाए।

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